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भगवती सूत्र-श. २४ उ. १ नैरयिकादि का उपपातादि
__भावार्थ-१३ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि या सम्यगमिथ्यादृष्टि होते हैं ?
१३ उत्तर-हे गौतम ! वे सम्यग्दृष्टि नहीं होते, मिथ्यादृष्टि होते हैं। सम्यमिथ्यादृष्टि भी नहीं होते।
१४ प्रश्न ते णं भंते ! जीवा किं णाणी, अण्णाणी ?
१४ उत्तर-गोयमा ! णो णाणी, अण्णाणी, णियमा दुअण्णाणी, तं जहा-महअण्णाणी य सुयअण्णाणी य ८ ।
भावार्थ-१४ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ?
१४ उत्तर-हे गौतम ! वे ज्ञानी नहीं होते, अज्ञानी होते हैं। उनके अवश्य दो अज्ञान होते हैं । यथा-मतिअज्ञान और श्रुतअज्ञान ।
१५ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी, वयजोगी, कायजोगी?
१५ उत्तर-गोयमा ! णो मणजोगी, वयजोगी वि, कायजोगी वि ९॥
भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव मनयोगी, वचनयोगी या काययोगी हैं?
१५ उत्तर-हे गौतम ! वे मनयोगी नहीं, वचनयोगी और काययोगी हैं। १६ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?
१६ उत्तर-गोयमा ! सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि १०॥
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