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भगवती सूत्र-श. १८ उ. १० वायु से परमाणु स्पृष्ट है ?
ओगाहेज्जा-अवगाहे-रहे ।
भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा-हे भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार (वैक्रिय लब्धि के सामर्थ्य से) तलवार की धार पर या उस्तरे की धार पर रह सकता है ?
१ उत्तर-हाँ, गौतम ! रह सकता है। प्रश्न-हे भगवन् ! क्या वह वहां छिन्न-भिन्न होता है ?
उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, क्योंकि वहाँ शस्त्र नहीं संक्रमता (नहीं लगता) है, इत्यादि पांचवें शतक के सातवें उद्देशक में कथित परमाणु-पुदगल की वक्तव्यता यावत् हे भगवन ! भावितात्मा अनगार उदकावर्त में यावत् प्रवेश करता है ? इत्यादि, वहाँ शस्त्र संक्रमण नहीं करता, आदि जानना चाहिए।
वायु से परमाणु स्पृष्ट है ?
२ प्रश्न-परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे, वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ?
२ उत्तर-गोयमा ! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, णो वाउ. याए परमाणुपोग्गलेणं फुडे।
३ प्रश्न-दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएणं० ? ३ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसिए । ४ प्रश्न-अणंतपएसिए णं भते ! खंधे वाउ-पुच्छा। ४ उत्तर-गोयमा ! अणंतपपसिए खधे वाउयाएणं फुडे, वाउयाए
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