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भगवती सूत्र - ग. २० उ. ५ द्रव्य क्षेत्र काल-भाव परमाणु
१६ उत्तर - गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - १ वष्णमंते,
२ गंधमंते ३ रसमंते, ४ फासमंते ।
अग्राह्य ।
गया है
* 'सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरड
|| वीसइमे सए पंचमो उद्देमो समत्तो ॥
कठिन शब्दार्थ-अच्छेज्जे- अछेदय, अभेज्जे अभेदय, अज्झे-अदाय, अगेज्झे
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भावार्थ - १२ प्रश्न - हे भगवन् ! परमाणु कितने प्रकार का कहा
?
१२ उत्तर - हे गौतम ! परमाणु चार प्रकार का है । यथा - द्रव्य-परमाणु, क्षेत्र- परमाणु, काल-परमाणु और भाव- परमाणु ।
१३ प्रश्न - हे भगवन् ! द्रव्य-परमाणु कितने प्रकार का कहा गया है ? १३ उत्तर - हे गौतम! द्रव्य परमाणु चार प्रकार का है। यथा-अछेदध, अभेदय, अदा और अग्राह्य |
१४ प्रश्न - हे भगवन् ! १४ उत्तर - हे गौतम !
यथा - अनर्द्ध, अमध्य, अप्रदेश और अविभाग ।
क्षेत्र परमाणु कितने प्रकार का कहा गया है ? क्षेत्र परमाणु चार प्रकार का कहा गया है ।
१५ प्रश्न - हे भगवन् ! काल-परमाणु कितने प्रकार का कहा गया है ? १५ उत्तर - हे गौतम ! काल-परमाणु चार प्रकार का कहा गया हैं । यथा - अवर्ण, अगन्ध, अरस और अस्पर्श ।
१६ प्रश्न - हे भगवन् ! भाव- परमाणु कितने प्रकार का कहा गया है ? १६ उत्तर - हे गौतम! भाव- परमाणु चार प्रकार का कहा गया है । यथा-वर्णवान् गन्धयुक्त, रस सहित और स्पश्यं ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'
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