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भगवती सूत्र-२० उ. १० पटक-पजिन नो-पटक-समजित
कठिन शब्दार्थ-छक्कसमज्जिया-पटक-सपजित-छह का समुदाय रूप ।
भावार्थ-१४ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक षटक-समजित हैं, नो-पटकसमजित है, षट्क और नो-षट्क-समजित हैं, अनेक षट्क-समजित है, अथवा अनेक षटक-तजित और एक नो-षटक-समजित है ?
१४ उत्तर-हे गौतम ! नैरयिक जीव षट्क-समजित भी हैं, नो-षट्कसमजित भी हैं, एक षट्क और एक नो-षटक-समजित भी हैं, अनेक षट्कसमजित भी हैं और अनेक षटक-समजित और एक नो-षट्क-सजित भी हैं।
प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसा क्यों कहा गया ?
उत्तर-हे गौतम ! जो नैरयिक एक समय में, एक साथ छह की संख्या से प्रवेश करते हैं, ने नैरयिक 'षट्क-समजित' कहलाते हैं। जो नैरयिक जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट पांच संख्या में प्रवेश करते हैं, वे 'नोषट्क-समजित' कहलाते हैं । जो नैरयिक एक षट्क संख्या से और अन्य जघन्य एक, दो या तीन तथा उत्कृष्ट पांच की संख्या में प्रवेश करते हैं, वे 'षटक और नो-षटक-सजित' कहलाते हैं । जो नैरयिक अनेक षट्क संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नैरयिक ‘अनेक षट्क-समजित' कहलाते हैं। जो नरयिक अनेक षट्क तथा जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट पांच संख्या में प्रवेश करते हैं, वे नैरयिक 'अनेक षट्क और एक नो-षटक-सजित' कहलाते हैं । इसलिये हे गौतम ! इस प्रकार कहा गया है कि यावत् अनेक षट्क और एक नो-षट्कसजित भी होते हैं । इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार पर्यंत ।
१४ प्रश्न-पुढविक्काइयाणं-पुच्छा ।
१५ उत्तर-गोयमा ! पुढविकाइया णो छकसमज्जिया १ णो णोक्कसमज्जिया २, णो छक्केण य णोछक्केण य समज्जिया ३, छक्केहिं समज्जिया ४, छक्केहि य णोक्केण य समज्जिया वि ५।
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