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शतक २२ वर्ग ५ उद्देशक ९-१०
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सिरियकादि के
मूल
की उत्पत्ति
१ प्रश्न - अह भंते । सिरियका णवणालिय- कोरंटग-बंधुजीवगमणोज्जा • जहा पण्णवणाए पढमपए गाहाणुसारेणं जाव णलणीयकुंद-महाजाईणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ?
१ उत्तर - एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा णिरवसेसं जहा सालीणं ।
|| बावीस मे सए पंचमो वग्गो समत्तो ॥
भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! सिरियक, नवनालिका, कोरण्टक, बन्धुजीवक, मणोजा इत्यादि सब नाम प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद की गाथा के अनुसार यावत् नलिनी, कुन्द और महाजाति, इन सब वृक्षों के मूलपने जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! यहाँ भी शालिवृक्ष के समान मूलादि दस उद्देशक है ।
॥ बाईसवें शतक का पांचवां वर्ग सम्पूर्ण ॥
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