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२९७६ मगवती मूत्र-श. २३ वर्ग ५ उ. १-१० मापपर्णी आदि के मूल की उत्पति
१ उत्तर-हे गौतम ! यहां भी आलू-वर्ग के समान मूलादि दस उद्देशक जानना । इस प्रकार इन पांच वर्गों में सब मिला कर पचास उद्देशक हैं। इन
पांचों ही वर्गों में कथित वनस्पति में देव उत्पन्न नहीं होते। इसलिये सब में । प्रथम की तीन लेश्याएं ही होती हैं। .
___ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं ।
विवेचन-यहाँ बतलाई हुई वनस्पतियाँ प्राय: अप्रसिद्ध हैं । इनके नामादि का विस्तृत कथन प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में है । जिज्ञासुओं को वहां देखना चाहिये ।
॥ तेईसवें शतक का पांचवाँ वर्ग सम्पूर्ण ॥
।। तेईसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥
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