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भगवती सूत्र - श. २४ उ १ नैरयिकादि का उपपातादि
तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ?
३ उत्तर - गोयमा ! सष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्रंति, अण्णीपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वि उववजंति ।
भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि नैरयिक जीव पञ्चेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं, तो क्या संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं, या असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं ?
३ उत्तर - हे गौतम! वे संज्ञी पंचेन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं ।
४ प्रश्न - जड़ असणिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं जलचरेहिंतो उववजंति, थलचरेहिंतो उववज्जंति, खहचरेहिंतो उववज्जंति ?
४ उत्तर - गोयमा ! जलचरेहिंतो उववजंति, थलचरेहिंतो वि उववजंति, खहचरेहिंतो वि उववजंति ।
भावार्थ - ४ प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक यदि असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक से आते हैं, तो क्या जलचर, थलचर और खेचर से आते हैं ?
४ उत्तर- हे गौतम! वे जलचर, थलचर और खेचर से भी आते हैं ।
५ प्रश्न - जड़ जलचर थलचर- खहचरेहिंतो उववजंति किं पज्जतपहिंतो उनवजंति अपज्जत्तए हिंतो ववजंति ?
५ उत्तर - गोयमा ! पज्जतएहिंतो उववज्जंति, णो अपजत्तएहिंतो
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