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भगवती सूत्र - श. २४ उ १ नैरयिकादि का उपपातादि
उववज्जेति ।
भावार्थ - १ प्रश्न - राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा - हे भगवन् ! नैरयिक कहाँ से आते हैं ? क्या नैरयिकों से, तियंच-योनिकों से, मनुष्यों से या देवों से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम | नैरयिक, नैरयिकों से नहीं आते, तिथंच-योनिकों से और मनुष्यों से आते हैं। देवों से भी नहीं आते ।
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२ प्रश्न - जड़ तिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जंति किं एगिंदियतिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जंति, बेइंदियतिरि०, तेइंदियतिरि०, चउरिंदियतिरि०, पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ?
२ उत्तर - गोयमा ! णो एगिंदियतिरिक्ख जोणिएहिंतो उववज्जंति, णो दिय०, णो तेई दिय०, णो चउरिंदिय०, पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ।
भावार्थ - २ प्रश्न - हे भगवन् ! यदि तियंच-योनिक से आते हैं, तो क्या एकेन्द्रिय तिर्यच-योनिक से या बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौरिन्द्रिय से या पंचन्द्रिय तियंचयोनिक से आते हैं ?
२ उत्तर - हे गौतम! एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चौरिन्द्रिय तियंच-योनिक से नहीं आते, वे पंचेन्द्रिय तियंच-योनिक से आते हैं ।
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३ प्रश्न - जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं सष्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उवबज्जंति, असणिपंचिंदिय
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