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२९६८ भगवती सूत्र - २२ वर्ग ६ उ. १-१० पूसफलिकादि के मूल
उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम! यहां भी ताड़वर्ग के समान मूलादि दस उद्देशक हैं। विशेष यह है कि फलोद्देशक में फल की जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट धनुषपृथक्त्व होती है। सब जगह स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वर्ष पृथक्त्व है। शेष सब पूर्ववत् । इस प्रकार इन छह वर्गों में सब मिला कर साठ उद्देशक होते हैं ।
विवेचन - इस बाईसवें शतक का विवेचन प्रायः इक्कीसवें शतक के समान है ।
यहां वल्लियों के नाम निर्देश के लिये प्रज्ञापना सूत्र
'प्रथम पद की छब्बीसवीं गाथा से लेकर तीसवीं गाथा तक का अतिदेश किया गया है। उनमें उनतीसवीं गाथा में 'मुद्दिय' शब्द है, जिसका अर्थ है - मृद्वीका अर्थात् द्राक्षा ( दाख) । दाख की बेलड़ी के मूल से ले कर बीज तक दस उद्देशक हैं । अतः दाख में भी बीज हैं, यह इससे स्पष्ट है ! इस प्रकार दाख सचित्त है ।
॥ बाईसवें शतक का छठा वर्ग सम्पूर्ण ॥
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॥ बाईसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥
की उत्पत्ति
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