________________
शतक २१
सालि कल अयसि वंसे, इक्खू दन्भे य अब्भ तुलसी य । अट्ठए दस वग्गा, असीई पुण होंति उद्देसा॥
भावार्थ-इस शतक में आठ वर्ग इस प्रकार हैं-शालि आदि धान्य के विषय में, दस उद्देशात्मक प्रथम वर्ग है । कलाय (मटर) आदि धान्य के विषय में दूसरा वर्ग है । अलसी आदि धान्य के विषय में तीसरा वर्ग है। बांस आदि पर्व वाली वनस्पति के लिये चौथा वर्ग है। इक्षु आदि पर्व वाली वनस्पति से सम्बन्धित पांचवां वर्ग है । दर्भ (डाभ) आदि तृण के विषय में छठा वर्ग है। अभ्र आदि वनस्पति का प्रतिपादक सातवां वर्ग है और तुलसी आदि वनस्पति का प्रतिपादक आठवां वर्ग है । इस प्रकार इक्कीसवें शतक में आठ वर्ग हैं। प्रत्येक वर्ग में दस उद्देशक हैं । इस प्रकार इस शतक में कुल अस्सी उद्देशक हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org