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भगवती सूत्र-श. २१ वर्ग ८ उ. १ - १० तुलसी आदि के मूल की उत्पत्ति २९५५
सायमंडुक्कि मूलग सरिसव अविलसाग-जियंतगाणं, एएसि णं जे मूल०
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१ उत्तर - एवं एत्थ वि दस उद्देगा जहेव सवग्गो ।
|| गवीसहमे स सत्तमो वग्गो समत्तो ॥
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भावार्थ - १ प्रश्न - हे भगवन् ! अभ्ररुह, वायण, हरितक, तांदलजो, तृण, वत्थुल, पोरक, मार्जारक, बिल्लि ( चिल्लि ), पालक, दगपिप्पली, दर्जी, स्वस्तिक, शाकमण्डुकी, मूलक, सर्षप (सरसों), अंबिलशाक, जियतंक, इन सब वनस्पति के मूल 'में जो जीव उत्पन्न होते हैं, इत्यादि प्रश्न ।
१ उत्तर - हे गौतम! चौथे वंश-वर्ग के समान मूलादि दस उद्देशक कहने चाहिये ।
विवेचन - एक वृक्ष में दूसरी जाति का वृक्ष उग जाता है, उसे 'अभ्र वृक्ष' कहते हैं। जैसे बड़ के वृक्ष में पोपल का वृक्ष उग जाता है, नीम के वृक्ष में पीपल का वृक्ष उग जाता है।
॥ इक्कीसवें शतक का सातवां वर्ग सम्पूर्ण ॥
शतक २९ वर्ग ८ उद्देशक ९-१०
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तुलसी आदि के मूल की उत्पत्ति
१ प्रश्न - अह भंते ! तुलसी- कण्ह-दल-फणेज्जा- अज्जा-चूयणा
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