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भगवतो सूत्र-श. २२ वर्ग ३ उ. १-१० अगस्तिकादि के मूल की उत्पति २९६३
एएमि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ?
१ उत्तर-एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा गिरवलेसं जहा तालवग्गो।
॥ वावीसइमे सए बिइओ वग्गो समत्तो ॥ भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! नीम, आम्र. जम्बू, कोशम्ब, ताल, अकोल्ल, पीलु, सेलु, सल्लकी, मोचकी, मालुक, बकुल, पलाश, करंज, पुत्रंजीवक, अरिष्ट (अरिट्ठा), बहेड़ा, हरड़ (हरितकी), भिलामा, उम्बेभरिका, क्षीरणी, धातकी (धावड़ी), प्रियाल (चारोली), पूतिकनिम्ब (करंज), सेण्हक, पासिय, शीशम, अतसी (अप्सन), नागकेशर, नागवृक्ष, श्रीपर्णी (सेवन) और अशोक, इन सब वृक्षों के मूलपने जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! यहाँ भी प्रथम ताड़ वर्ग के समान मूलादि दस उद्देशक कहने चाहिये।
॥ बाईसवें शतक का दूसरा वर्ग सम्पूर्ण ॥
शतक २२ वर्ग ३ उद्देशक १-१०
अगस्तिकादि के मूल की उत्पत्ति १ प्रश्न-अह भंते ! अत्थिय-तिंदुय-बोर कविट्ठ अंबाडग-माउ
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