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भगवती मूत्र-श. २१ वर्ग १ उ. १ शालि आदि के मूल की उत्पत्ति
सार । इसी प्रकार कर्मों की वेदना, उदय और उदीरणा के विषय में भी जानना चाहिये।
___ ५ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव कृष्ण-लेशी, नील-लेशी, या कापोत-लेशी होते हैं ?
___५ उत्तर-हे गौतम ! यहाँ तीन लेश्या सम्बन्धी छब्बीस भंग कहने चाहिये । दृष्टि यावत् इन्द्रियों के विषय में उत्पलोद्देशक के अनुसार है ।
६ प्रश्न-ते णं भंते ! साली-वीही-गोधूम० जाव जवजवगमूलगजीवे कालओ केवचिरं होइ ?
६ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं असंखेनं कालं। __ ७ प्रश्न-से णं भंते ! साली-वीही-गोधूम० जाव जवजवगमूलगजीवे पुढवीजीवे, पुणरवि साली-वीही-जाव जवजवगमूलगजीवे केवइयं कालं सेवेजा, केवइयं कालं गइरागई करिजा ?
७ उत्तर-एवं जहा उप्पलुद्देसे। एएणं अभिलावेणं जाव मणुस्सजीवे, आहारो जहा उप्पलुद्देसे, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वोलपहुत्तं, समुग्घाय (या), समोहया, उव्वट्टणा य जहा उप्पलुद्देसे ।
८ प्रश्न-अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता साली-वीहीजाव जवजवगमूलगजीवत्ताए उववण्णपुव्वा ? .. ८ उत्तर-हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो।
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