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________________ २९४४ भगवती मूत्र-श. २१ वर्ग १ उ. १ शालि आदि के मूल की उत्पत्ति सार । इसी प्रकार कर्मों की वेदना, उदय और उदीरणा के विषय में भी जानना चाहिये। ___ ५ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव कृष्ण-लेशी, नील-लेशी, या कापोत-लेशी होते हैं ? ___५ उत्तर-हे गौतम ! यहाँ तीन लेश्या सम्बन्धी छब्बीस भंग कहने चाहिये । दृष्टि यावत् इन्द्रियों के विषय में उत्पलोद्देशक के अनुसार है । ६ प्रश्न-ते णं भंते ! साली-वीही-गोधूम० जाव जवजवगमूलगजीवे कालओ केवचिरं होइ ? ६ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं असंखेनं कालं। __ ७ प्रश्न-से णं भंते ! साली-वीही-गोधूम० जाव जवजवगमूलगजीवे पुढवीजीवे, पुणरवि साली-वीही-जाव जवजवगमूलगजीवे केवइयं कालं सेवेजा, केवइयं कालं गइरागई करिजा ? ७ उत्तर-एवं जहा उप्पलुद्देसे। एएणं अभिलावेणं जाव मणुस्सजीवे, आहारो जहा उप्पलुद्देसे, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वोलपहुत्तं, समुग्घाय (या), समोहया, उव्वट्टणा य जहा उप्पलुद्देसे । ८ प्रश्न-अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता साली-वीहीजाव जवजवगमूलगजीवत्ताए उववण्णपुव्वा ? .. ८ उत्तर-हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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