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__ भगवती सूत्र-श. २१ वर्ग १ उ. १ गाली आदि के मूल की उत्पत्ति .. २९४३
पूछा-'हे भगवन् ! शालि, ब्रोहि, गेहूं यावत् जवजव, इन सब धान्यों के मूल : में जो उत्पन्न होते हैं, वे कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? क्या नैरयिक, - तियंञ्च, मनुष्य या देवों से आ कर उत्पन्न होते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद के अनुसार . इनका उपपात जानना चाहिए । विशेषता यह है कि देवगति से आ कर मूल• पने उत्पन्न नहीं होते,
२ प्रश्न-है भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? . २ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक, दो, तीन और उत्कृष्ट संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। उनका अपहार ग्यारहवें शतक के प्रथम उत्पलोद्देशक के अनुसार है।
३ प्रश्न-हे भगवन् ! उन जीवों के शरीर को अवगाहना कितनी बड़ी होती है ?
३ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट धनुष पृथक्त्व (दो से नौ धनुष तक) की कही गई है।
- ४ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधगा, अबंधगा ?
४ उत्तर-जहा उप्पलुद्देसे, एवं वेए वि, उदए वि, उदीरणाए वि।
५ प्रश्न ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा, णील० काउ० ? . ५ उत्तर-छव्वीसं भंगा, दिट्ठी जाव इंदिया जहा उप्पलुद्देसे ।
भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! ये जीव ज्ञानावरणीय कर्म के बन्धक हैं, या अबन्धक हैं ? ..
४ उत्तर-हे गौतम ! ग्यारहवें शतक के प्रथम उत्पलोद्देशक के अनु
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