________________
२९५२
भगवती मूत्र-ग. २१ वर्ग ५ उ. १-१० इक्षु आदि के मूल की उत्पत्ति
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! बाँस, वेणु, कनक, कविंश, चारुवंश, दण्डा, कुडा, बिमा, चण्डा, वेणुका और कल्याणी, इन सब वनस्पति के मल में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहां से आते हैं ? ।
१ उत्तर-हे गौतम ! यहां भी पूर्ववत् शालि-वर्ग के समान मूलादि दस उद्देशक कहने चाहिये । विशेष में यहां किसी भी स्थान में देव उत्पन्न नहीं होते । अतः सर्वत्र तीन लेश्या और उनके छब्बीस भंग जानना चाहिये । शेष सब पूर्ववत् ।
॥ इक्कीसवें शतक का चौथा वर्ग सम्पूर्ण ॥
शतक २१ वर्ग ५ उद्देशक १-१०
इक्षु आदि के मूल की उत्पत्ति
१ प्रश्न-अह भंते ! उक्खु-इक्खुवाडिया-वीरणा इक्कड भमासमुंठि-सत्त-वेत्त-तिमिर-सयपोरग-णलाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ?
१ उत्तर-एवं जहेव वंसवग्गो तहेव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा, णवरं खंधुद्देसे देवो उववजह, चत्तारि लेस्साओ, सेसं तं चेव ।
॥ एगवीसइमे सए पंचमो वग्गो समत्तो ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org