________________
भगवती सूत्र-श. २० उ. ७ अनन्तर-परम्पर बन्ध
२८६७
२ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक जीवों के बन्ध कितने प्रकार के हैं ? २ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत्, यावत् वैमानिक पर्यन्त । ३ प्रश्न-हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म का बन्ध कितने प्रकार का है ?
३ उत्तर-हे गौतम ! तीन प्रकार का है। यथा-जीव-प्रयोग बन्ध, अनन्तर बन्ध और परम्पर बन्ध ।
४ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिकों के ज्ञानावरणीय कर्म का बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? .
___४ उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत्, यावत् वैमानिक पर्यन्त, अन्तराय कर्म तक का बन्ध जानना चाहिये।
५ प्रश्न-णाणावरणिजोदयस्स णं भंते ! कम्मरस कइविहे बंधे
पण्णत्ते ?
५ उत्तर-गोयमा ! तिविहे मंधे पण्णत्ते एवं चेव, एवं गेरइयाण वि, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अंतराइयउदयस्स ।
६ प्रश्न-इत्थीवेयस्स णं भंते ! कविहे बंधे पण्णत्ते ? ..६ उत्तर-गोयमा । निति बंधे पण्णत्ते एवं चेव । (04-असुरकुमाराणं भंते ! इत्थीवेयस्स कइविहे बंधे पण्णते ?
७ उत्तर-एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स इथिवेओ अत्थि, एवं पुरिसवेयस्स वि, एवं णपुंसगवेयस्स वि जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जो अस्थि वेओ।
भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! उदय प्राप्त ज्ञानावरणीय कर्म का बन्ध कितने प्रकार का है ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org