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भगवती सूत्र-श. २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
चत् अनेक देश काला, एक देश नीला, अनेक देश लाल, पीला और एक देश श्वेत होता है । २३-कदाचित् अनेक देश काला, नीला, एक देश लाल, पीला,
और श्वेत होता है । २४-कदाचित अनेक देश काला, नीला, एक देश लाल, पीला और अनेक देश श्वेत होता है। २५-कदाचित् अनेक देश काला, नीला, एक देश लाल, अनेक देश पीला और एक देश श्वेत होता है । २६-कदाचित् अनेक देश काला, नीला, लाल, एक देश पीला और श्वेत होता है। इस प्रकार पंक्-संयोगी २६ भंग होते हैं । ये सब मिला कर अर्थात् असंयोगी पांच, द्विक-संयोगी ४०, त्रिक-संयोगो ८०, चतुःसंयोगी ८० और पंच-संयोगी २६, ये वर्ण सम्बन्धी २३१ भंग होते हैं। गन्ध के सप्त-प्रदेशी के समान ६ भंग होते हैं । वर्ण के समान रस के २३१ भंग होते हैं और स्पर्श के चतुष्प्रदेशी के समान ३६ भंग होते हैं। - विवेचम-अष्ट-प्रदेशी स्कन्ध के विषय में वणं के २३१, गन्ध के ६, रस के २३१ और स्पर्श के ३६, ये सब मिला कर ५०४ भंग होते हैं।
९ प्रश्न-णवपएसियस पुच्छ ।
९ उत्तर-गोयमा ! सिय एगवण्णे, जहा अट्ठपएसिए जाव 'सिय चउफासे' पण्णत्ते । जइ एगवण्णे एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण चउवण्णा जहेव अटुपएसियस्स । जड़ पंचवण्णे सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए १, सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लगा य २, एवं परिवाडीए एकतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य णीलगा य लोहियगा य हालिदगा य सुकिल्लए य । एए एकत्तीसं भंगा । एवं एकग-दुयग
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