________________
भगवती मूत्र-स. २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
२८७३
तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति । गंधा . जहा अट्ठपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा फासा जहा चउप्पएसियस्स ।
भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! नव-प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न।
९ उत्तर-हे गौतम ! अष्ट-प्रदेशी स्कन्ध के समान यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है-तक जानना चाहिये । उसके एक वर्ण, दो वर्ण, तीन वर्ण और चार वर्ण के भंग अष्ट-प्रदेशी स्कन्ध के समान कहने चाहिये । जब वह पांच वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् एक देश काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है । कदाचित् एक देश काला, नीला, लाल, पीला और अनेक देश श्वेत होता है । इस प्रकार क्रमपूर्वक ३१ भंग कहने चाहिये । यावत् कदाचित् अनेक देश काला, नीला, लाल, पीला और एक देश श्वेत होता है । इस प्रकार ३१ भंग जानने चाहिये । इस प्रकार वर्ण की अपेक्षा असंयोगो ५, द्विक-संयोगी ४०, त्रिक-संयोगी ८०, चतुःसंयोगी ८०, और पञ्च-संयोगी ३१, ये सब मिला कर वर्ण सम्बन्धी २३६ भंग होते हैं। गन्ध विषयक ६ भंग अष्टप्रवेशी के समान है । वर्ण के समान रस के २३६ भंग है और स्पर्श के विषय में चतुःप्रदेशो के समान ३६ भंग होते हैं।
विवेचन-नव-प्रदेशी स्कन्ध के विषय में वणं के २३६, गंध के ६, रम के २६६ और स्पर्श के ३६ ये सभी मिलाकर ५१४ भंग होते हैं। .
१० प्रश्न-दप्तपएसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा ।
१० उत्तर-गोयमा ! सिय एगवण्णे० जहा णवपएसिए जाव 'सिय चउफासे पण्णत्ते' । जइ एगवण्णे एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org