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भगवती सूत्र - श. २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि २८७९
जाव सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देमा उसिणा, एए चउस िभंगा। सव्वे गरुए सव्वे सीए देने कक्खडे देसे मउए देसे मिद्धे देसे लक्खे, एवं जाव सव्वे लहुए सब्वे उसिने देसा कक्खडा देसा णिद्धा देसा मउया देसा लुक्खा, एए चउसट्ठि भंगा । सब्वे गरु सव्वेणिद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सब्वे लहुए सव्वे लु+खे देसा कक्खडा देमा मउया देमा सीया देसा उसिणा, एए चउसट्ठि भंगा । सब्वे सीए सव्वेणिद्धे देसे कक्खडे देसे उसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिने सब्वे लुम्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया, एए चउसट्ठि भंगा। सव्वे ते फासे तिष्णि चउरासीया भंगसया भवंति ३८४ ।
भावार्थ- जब वह छह स्पर्श वाला होता है तो, (१) सर्व कर्कश, सर्व गुरु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता हैं । २ - कदाचित् सर्व कर्कश, सर्व गुरु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होता है। इस प्रकार यावत् सर्व कर्कश, सर्व गुरु अनेक देश शीत, अनेक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष- यह सोलहवां भंग है । इस प्रकार १६ भंग होते है । (२) कदाचित् सर्व कर्कश, सर्व लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष के सोलह भंग । (३) कदाचित् सर्व मृदु, सर्व गुरु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष के सोलह मंग । ( ४ ) कदाचित् सर्व मृदु, सर्व लघु, एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष के १६ भंग | ये सब मिला कर ६४ भंग होते हैं । अथवा कदाचित् सर्व कर्कश, सर्व शीत, एक देश गुरु, एक देश लघु, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता
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