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भगवती सूत्र-श. २० उ ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
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सर्व उष्ण सर्व स्निग्ध सर्व कक्ष के साथ भी तीन-तीन भंग जानने चाहिए । इसी प्रकार चतुः प्रदेशी आदि स्कंधों में भी यथायोग्य समझ लेना चाहिए ।
__जव त्रिप्रदेशी स्कंध दो आकाश प्रदेश पर अवगाढ हो, एक आकाश प्रदेश पर रहा हुआ एक परमाणु शीत और स्निग्ध हो और दूसरे आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणु उष्ण और रूक्ष हो तब क्षेत्र की प्रधानता करके और द्रव्य (दो परमाणु) गौणता करके उन्हें एक देश ही समझा जाता है तब चार स्पर्श का प्रथम भंग (एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष) बनता है । जब उसी स्कंध के एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणुओं में जो उष्ण और रूक्ष स्पर्ग है, उन में से उष्ण स्पर्श को क्षेत्र की प्रधानता का विवक्षा से एक देश मानने पर एवं रूक्ष स्पर्श में द्रव्य की प्रधानता की विवक्षा करने से अनेक देश मानने पर 'एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध, अनेक देश रूक्ष' रूप दूसरा भंग बनता है। जब त्रिप्रदेगी स्कंध दो आकाश प्रदेश पर अवगाढ हों, एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणु उष्ण और स्निग्ध हों और दूसरे आकाश प्रदेश पर रहा हआ एक परमाण शीत और रूक्ष हो । एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणुओं में रहे हुए उष्ण स्पर्श को क्षेत्र की प्रधानता एवं द्रव्य की गौणता से एक देश मानने पर एवं स्निग्ध स्पर्श को द्रव्य को प्रधानता एवं क्षेत्र की गौणता से अनेक देश मानने पर 'एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष' रूप तीसरा भंग बनता है । जब इसी स्कंध में उष्ण स्पर्श को द्रव्य की प्रधानता एवं क्षेत्र की गौणता से अनेक देश मान लिया जाता है तथा स्निग्ध स्पर्श में क्षेत्र की प्रधानता एवं द्रव्य की गौणता से एक देश मान लिया जाता है तव 'एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष' रूप चौथा भंग बनता है । जब त्रिप्रदेशी स्कंध तीन आकाश प्रदेशों पर रहा हुआ हो । एक आकाश प्रदेश पर स्थित एक प्रदेश शीत और स्निग्ध हो, दो आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो प्रदेश उष्ण और रूक्ष हो तब 'एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष 'रूप पांचवां भंग बनता है । जब त्रिप्रदेशावगाढ त्रिप्रदेशी स्कंध का एक प्रदेश शीत और रूक्ष हो और दो प्रदेश उष्ण और स्निग्ध हों तब 'एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष' रूप छठा भंग बनता है । जब त्रिप्रदेशी स्कंध दो आकाश प्रदेशों पर अवगाढ़ होता है, उनमें से एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमाणु पुद्गल शीत एवं रूक्ष हों तथा दूसरे आकाश प्रदेश पर रहा हुआ परमाणु उष्ण और स्निग्ध हो तब एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए दो परमा
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