________________
भगवती मूत्र-ग. २. उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
२८६३
रस के १४१ और स्पर्श के ३६, ये कुल मिला कर ३२४ भंग होते है ।)
६ प्रश्न-छप्पएसिए णं भंते ! खंधे कइवण्णे० ?
६ उत्तर-एवं जहा पंचपएसिए जाव 'सिय चउफासे पण्णत्ते' । जइ एगवण्णे एगवण्ण-दुवण्णा जहा पंचपएसियस्स । जइ तिवण्णे सिय कालए य णीलए य लोहियए य, एवं जहेव पंचपएसियस्स सत्त भंगा जाव सिय कालगा य णीलगा य लोहियए य ७, सिय कालगा य णीलगा य लोहियगा ८ । एए अट्ट भंगा। एवमेए दस तियासंजोगा, एक्केक्कए संजोगे अट्ठ भंगा, एवं सच्चे वि तियगमंजोगे असीइ भंगा।
- भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! छह प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न । . ६ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार पञ्चप्रदेशी स्कन्धवत्, यावत् 'कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है'-तक । यदि वह एक चर्ण या दो वर्ण वाला है, तो पञ्चप्रदेशी स्कन्ध के समान एक वर्ण के ५ और दो वर्ण के ४ भंग होते हैं । जब वह तीन वर्ण वाला है तो कदाचित् काला, नीला और लाल होता है । जिस प्रकार पञ्चप्रदेशिक स्कन्ध के सात भंग कहे है, उसी प्रकार, यावत् 'कदाचित् अनेक देश काला, नीला और एक देश लाल होता है। कदाचित् अनेक देश काला, नीला और लाल होते हैं । इस प्रकार त्रिकसंयोग के ८ भंग होते हैं इस तरह दस त्रिक संयोगों' के ८० भंग होते हैं। - जइ चउवण्णे सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिदए य १, सिय कालए य णीलए य लोहियए य हालिदगा य २, सिय कालए य णौलए य लोहियगा य हालिइए य ३, सिय कालए य
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org