________________
भगवती सूत्र - २० उ ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
४ प्रश्न - उप्परसिए णं भंते ! खंधे कइवण्णे० ? ४ उत्तर - जहा अट्ठारसमसए जाव 'सिय चउफासे पण्णत्ते' । जगवणे सिय कालए य जाव सुकिल्लए ५ । जइ दुवण्णे सिय कालए य णीलए य १, सिय कालए य णीलगा य २, सिय कालगा य णीलए य ३, सिय कालगा य णीलगा य ४ । सिय कालए य लोहियए य । एत्थ वि चत्तारि भंगा ४ । सिय कालए य हालिए य ४ । सिय कालए य सुकिल्लए य ४ । सिय णीलए य लोहियए य ४ । सिय णीलए य हालिदए य ४ । सिय णीलए य सुकिल्लए य ४ । सिय लोहियए य हालिदए य ४ । सिय लोहियए य सुकिल्लए य ४ । सिय हालिए य सुकिल्लए य ४ | एवं एए दस दुयासंजोगा भंगा पुण चत्तालीस ४० ।
भावार्थ - ४ प्रश्न - हे भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है, इत्यादि प्रश्न ?
४ उत्तर - हे गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशकवत् यावत् 'वह कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है' तक ।
जब वह एक वर्ण वाला होता है, तो ५- कदाचित् काला होता है यावत् श्वेत होता है । जब दो वर्ण वाला होता है, तो १ - कदाचित् उसका एक अंश काला और एक अंश नीला होता है, २ - कदाचित् एक देश काला और अनेक देश नीले होते हैं, ३ - कदाचित् अनेक देश काले और एक देश नीला होता है, ४- अथवा अनेक देश काले और अनेक देश नीले होते हैं । अथवा कदाचित् एक अंश काला और एक अंश लाल होता है। यहां भी पूर्ववत् चार भंग कहने चाहिये । कदाचित् एक अंश काला और एक अंश पोला, पूर्ववत् चार
Jain Education International
२८५५
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org