________________
२७८६
भगवती सूत्र-श. १६ उ. ३ स्थावरकाय की बादर-बादरतरता
कयरे काए सव्वसुहुमे, कयरे काए सव्वसुहुमतराए ?
२४ उत्तर-गोयमा ! आउक्काए सव्वसुहुमे, आउपकाए सव्वसुहुमतराए ।४।
कठिन शब्दार्थ-सव्वसुहुमतराए-सब से अधिक अत्यन्त सूक्ष्म ।
भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! पृथ्वीकायिक, अपकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक-इन सब में कौन-सी काय सब से सूक्ष्म है और कौनसी सूक्ष्मतर है ?
२१ उत्तर-हे गौतम ! वनस्पतिकायिक सब से सूक्ष्म और सब से सूक्ष्मतर है।
२२ प्रश्न--हे भगवन् ! पृथ्वीकाय, अपकाय, अग्निकाय और वायुकाय में कौनसी काय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है ?
२२ उत्तर--हे गौतम ! वायुकाय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है।
२३ प्रश्न-हे भगवन् ! पृथ्वीकाय, अप्काय और अग्निकाय में कौन-सी काय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है ?
२३ उत्तर-हे गौतम ! अग्निकाय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है।
२४ प्रश्न--हे भगवन् ! पृथ्वीकाय और अपकाय में कौन-सी काय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है ?
२४ उत्तर-हे गौतम ! अपकाय सब से सूक्ष्म और सूक्ष्मतर है ।
विचचन-सूक्ष्म पृथिव्यादि चार काय की अपेक्षा वनस्पतिकाय सब से सूक्ष्म है और प्रत्येक वनस्पति की अपेक्षा सब से अधिक बादर है।
स्थावरकाय की बादर-बादरतरता
२५ प्रश्न-एयस्स णं भंते ! पुढविक्काइयस्स आउकाइयस्स
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org