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भगवती सूत्र-ग. १९ उ. ६ करण के भेद
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८ प्रश्न-संठाणकरणे णं भंते ! कइविहे पण्णते ?
८ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-परिमंडलसंठाणकरणे जाव आयतमंठाणकरणे।
'सेवं भंते ! मेवं भंते' ! ति जाव विहरइ 8 ॥ एगृणवीसइमे सए णवमो उद्देसो समत्तो ॥
भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन् ! पुद्गल-करण कितने प्रकार का कहा गया है ?
६ उत्तर-हे गौतम ! पुद्गल-करण पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-वर्णकरण, गंधकरण, रसकरण, स्पर्शकरण और संस्थानकरण।
७ प्रश्न-हे भगवन् ! वर्णकरण कितने प्रकार का कहा गया है ?
७ उत्तर-हे गौतम ! वर्ण-करण पाँच प्रकार का कहा गया है। यथाकृष्ण वर्णकरण यावत् शुक्ल वर्ण-करण । इस प्रकार पुद्गल-करण के वर्णादि भेद कहना चाहिये । इस तरह दो प्रकार का गंध-करण, पांच प्रकार का रसकरण और आठ प्रकार का स्पर्शकरण है। . ८ प्रश्न-हे भगवन् ! संस्थान-करण कितने प्रकार का कहा गया है ?
८ उत्तर-हे गौतम ! संस्थान-करण पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-परिमण्डल संस्थान-करण यावत् आयत संस्थान-करण ।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ उन्नीसवें शतक का नौवां उद्देशक सम्पूर्ण ।
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