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शतक २० उद्देशक ४
इन्द्रियोपचय
१ प्रश्न-कइविहे णं भंते ! इंदियउवचए पण्णत्ते ?
१ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पण्णत्ते, तं जहासोइंदियउवचए० एवं विइओ इंदियउद्देसओ गिरवसेसो भाणियव्वो जहा पण्णवणाए।
® 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति जाव विहरइ ®
॥ वीसइमे सए चउत्थो उद्देसो समत्तो ॥
कठिन शब्दार्थ-इंदियोवचए-इन्द्रियों का उपचय । भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! इन्द्रियोपचय कितने प्रकार का है ?
१ उत्तर-हे गौतम ! इन्द्रियोपचय पांच प्रकार का है। यथा-श्रोत्रेन्द्रियोपचय इत्यादि प्रज्ञापना सूत्र के पन्द्रहवें पद के दूसरे इन्द्रियोद्देशक के अनुसार जानना चाहिये।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ बीसवें शतक का चौथा उद्देशक सम्पूर्ण ।।
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