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भगवती-सूत्र-श. १९ उ. ३ पृथ्वीकायिक शरीर की विशालता.
. २५ उत्तर-हे गौतम ! वनस्पतिकाय सब से बादर और बादरतर है।
२६ प्रश्न-हे भगवन् ! पृथ्वीकाय, अप्काय, अग्निकाय और वायुकाय में कौन-सी काय सब से वादर और बादरतर है ?
२६ उत्तर-हे गौतम ! पृथ्वीकाय सब से बादर और बादरतर है ।
२७ प्रश्न-हे भगवन् ! अप्काय, अग्निकाय और वायकाय में कौन-सी काय सब से बादर और बादरतर है।
२७ उत्तर-हे गौतम ! अप्काय सब से बादर और बादरतर है।
२८ प्रश्न-हे भगवन् ! अग्निकाय और वायुकाय में कौन-सी काय संब से बादर और बादरतर है ?
२८ उत्तर-हे गौतम ! अग्निकाय सबसे बादर और बादरतर है।
विवेचन-सक्ष्म के कथन में वनस्पतिकाय को सूक्ष्म और सूक्ष्मतर बताया है। वह सूक्ष्म वनस्पतिकाय की अपेक्षा समझना चाहिये और यहाँ बादर के कथन में वनस्पतिकाय को सब से बादर और बादरतर बतलाया है, वह प्रत्येक बनस्पतिकाय की अपेक्षा समझना चाहिये।
प्रथ्वीकायिक शरीर की विशालता
२९ प्रश्न-केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पण्णत्ते ?
२९ उत्तर-गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरौरा से एगे सुहुमवाउसरीरे, असंखेजाणं सुहुमवाउसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे, असंखेजाणं सुहमतेउकाइय. सरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमे आउसरीरे, असंखेजाणं सुहुमआउकाइयसरीराणं जावहया सरीरा से एगे सुहुमे पुढविसरीरे,
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