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भगवती-सूत्र-ग. १९ उ. ९ करण के भेद
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२४ उत्तर-हे गौतम ! उपयोग-निर्वत्ति दो प्रकार की कही गई है। यथा-साकारोपयोग-निर्वत्ति और अनाकारोपयोग-निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वैमानिकों तक।
दूसरी वाचना की दो संग्रह गाथाओं का अर्थ इस प्रकार है-१ जीव, २ कर्म-प्रकृति, ३ शरीर, ४ सर्वेन्द्रिय, ५ भाषा, ६ मन, ७ कषाय, ८ वर्ण, ९ गन्ध, १० रस, ११ स्पर्श, १२ संस्थान, १३ संज्ञा, १४ लेश्या, १५ दृष्टि, १६ ज्ञान, १७ अज्ञान, १८ योग, १९ उपयोग। इन सब की निवृत्ति का कथन इस उद्देशक में किया गया है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ उन्नीसवें शतक का आठवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक १६ उद्देशक
करण के भेद
१ प्रश्न-कइविहे गं भंते ! करणे पण्णत्ते ? १ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा--१ दव्व.
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