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________________ भगवती-सूत्र-ग. १९ उ. ९ करण के भेद २८२१ २४ उत्तर-हे गौतम ! उपयोग-निर्वत्ति दो प्रकार की कही गई है। यथा-साकारोपयोग-निर्वत्ति और अनाकारोपयोग-निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वैमानिकों तक। दूसरी वाचना की दो संग्रह गाथाओं का अर्थ इस प्रकार है-१ जीव, २ कर्म-प्रकृति, ३ शरीर, ४ सर्वेन्द्रिय, ५ भाषा, ६ मन, ७ कषाय, ८ वर्ण, ९ गन्ध, १० रस, ११ स्पर्श, १२ संस्थान, १३ संज्ञा, १४ लेश्या, १५ दृष्टि, १६ ज्ञान, १७ अज्ञान, १८ योग, १९ उपयोग। इन सब की निवृत्ति का कथन इस उद्देशक में किया गया है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है'कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। ॥ उन्नीसवें शतक का आठवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥ शतक १६ उद्देशक करण के भेद १ प्रश्न-कइविहे गं भंते ! करणे पण्णत्ते ? १ उत्तर-गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा--१ दव्व. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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