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भगवती सूत्र - श. १९ उ. = जीव- निर्वृति आदि
२० उत्तम - हे गौतम ! दृष्टि-निर्वृत्ति तो प्रकार की कही गई है । यथा - सम्यग्दृष्टि-निर्वृत्ति, मिथ्यादृष्टि-निर्वृत्ति और सम्यग्मिथ्यादृष्टि - निर्वृत्ति । इस प्रकार यावत् वैमानिक तक जिसके जितनी दृष्टि हो ।
२१ प्रश्न - कह विद्या णं भंते! णाणणिव्वत्ती पण्णत्ता ?
२१ उत्तर - गोयमा ! पंचविह्ना णाणणिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहाआभिणिबोहियणाणणिव्वत्ती जाव केवलणाणणिव्वत्ती । एवं एगि दियवज्जं जाव वेमाणियाणं जस्स जड़ णाणा ।
२२ प्रश्न - कविद्या णं भंते! अण्णाणणिव्वत्ती पण्णत्ता ? २२ उत्तर - गोयमा ! तिविहा अण्णाणणिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा - महअण्णाणणिव्वत्ती, सुयअण्णाणणिव्वत्ती, विभंगणाणणिव्वत्ती । एवं जस्स जइ अण्णाणा जाव वेमाणियाणं ।
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भावार्थ - २१ प्रश्न - हे भगवन् ! ज्ञान-निर्वृत्ति कितने प्रकार की है ? २१ उत्तर - हे गौतम ! ज्ञान-निर्वृत्ति पांच प्रकार की कही गई है । यथा-आभिनिबोधिक ज्ञान-निर्वृत्ति यावत् केवलज्ञान-निर्वृत्ति । इस प्रकार एकेद्रिय को छोड़ कर यावत् वैमानिक तक जिसमें जितने ज्ञान हों।
२२ प्रश्न - हे भगवन् ! अज्ञान-निर्वृत्ति कितने प्रकार की ?
* २२ उत्तर- हे गौतम! अज्ञान-निर्वृत्ति तीन प्रकार की कही गई है । यथा-मति अज्ञान - निर्वृत्ति, श्रुत- अज्ञान निर्वृत्ति और विभंग ज्ञान-निर्वृत्ति। इस प्रकार यावत् वैमानिक तक जिसके जितने अज्ञान हों ।
२३ प्रश्न - कहविहा णं भंते! जोगणिव्वती पण्णत्ता ?
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