________________
भगवती सूत्र-श. १९ उ. ३ अप्कायादि के साधारण शरीरादि
२७७९
पृथ्वीकायिक जीव ने रयिकों से आ कर उत्पन्न नहीं होते, वे तियंच, मनुष्य और देवों से आ कर उत्पन्न होते हैं।
अपकायादि के साधारण शरीरादि १७ प्रश्न-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच आउकाइया एगयओ साहारणसरीरं बंधंति, एग० २ बंधित्ता तओ पच्छा आहारोंति ?
१७ उत्तर-एवं जो पुढविकाइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उव्वटंति, णवरं ठिई सत्त वाससहस्साई उक्कोसेणं, सेमं तं चेव ।
१८ प्रश्न-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच तेउकाइया० एवं चेव, णवरं उववाओ ठिई उव्वट्टणा य जहा पण्णवणाए, सेसं तं चेव । वाउकाइयाणं एवं चेव, णाणत्तं णवरं चत्तारि समुग्घाया ।
१९ प्रश्न-सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया०पुच्छा ।
१९ उत्तर-गोयमा ! णो इणठे समठे । अणंता वणस्सइकाइया एगयओ साहारणसरीरं बंधंति, एग० २ बंधिता तओ पच्छा आहा. रेति वा परि० २ । सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उव्वद्वृति, णवरं आहारो णियमं दिसिं, ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ।
भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! कदाचित् दो, तीन, चार, या पांच
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org