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भगवती सूत्र-स. १८ : १० यापनीय
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भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! आपके यात्रा, यापनीय, अव्याबाध और प्रासुक विहार है ?
८ उत्तर-हां, सोमिल ! मेरे यात्रा भी है, यापनीय भी है, अव्याबाध भी है और प्रासुक विहार भी है। ___९ प्रश्न-हे भगवन् ! आपके यात्रा कैसी है ?
९ उत्तर-हे सोमिल ! तप, नियम, संयम, स्वाध्याय, ध्यान और आवश्यक आदि योगों में जो मेरी यतना (प्रवृत्ति) है, वह मेरी यात्रा है।
. यापनीय
१० प्रश्न-किं ते भंते ! जवणिजं ?
१० उत्तर-सोमिला ! जवणिज्जे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-इंदियजवणिजे य णोइंदियजवणिज्जे य ।
११ प्रश्न-से किं तं इंदियजवणिजे ?
११ उत्तर-इंदिय० २ ज मे सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिंदियजिभिदिय-कासिंदियाइं णिरूवहयाइं वसे वटुंति । सेत्तं इंदियजवणिजे।
१२ प्रश्न-से किं तं णोइंदियजवणिजे ?
१२ उत्तर-णोइंदियजवणिजे जं मे कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा णो उदीरेंति, सेत्तं णोइंदियजवणिजे, सेत्तं जवणिजे ।
भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! आपके यापनीय क्या है.? १० उत्तर-हे सोमिल ! यापनीय दो प्रकार का कहा गया है । यथा
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