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भगवती सूत्र-श. १८ उ. १० भावितात्मा अनगार को वैक्रियशक्ति
यिकों की अपेक्षा समझनी चाहिये और भन्य-द्रव्य मनुष्य की तेतीस सागरोम की स्थिति सर्वार्थसिद्ध से च्यव कर आने वाले देवों की अपेक्षा समझनी चाहिये ।
॥ अठारहवें शतक को नौवां उद्देशक सम्पूर्ण ॥
शतक १८ उद्देशक १०
भावितात्मा अनगार की वैक्रियशक्ति
१ प्रश्न-रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा असिधारं खुरधारं वा ओगाहेजा ?
१ उत्तर-हंता ओगाहेजा। प्रश्न-से णं तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा ?
उत्तर-णो इणटे समटे, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ । एवं जहा पंचमसए परमाणुपोग्गलवत्तव्वया जाव अणगारे णं भंते ! भावि. यप्पा उदावत्तं जाव णो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।
कठिन शब्दार्थ-खुरधार-क्षुरधार-उस्तरे की धार, असिधार-तलवार की धार,
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