________________
भगवती सूत्र - श. १८ उ ६ परमाणु और स्कन्ध में वर्णादि २७११
एवं उपसिए वि, णवरं सिय एगवण्णे जाव सिय उवण्णे । एवं रसेसु विसेसं तं चैव । एवं पंचपरसिए वि, णवरं सिय एगवणे, जाव सिय पंचवणे, एवं रसेसु वि, गंधफासा तहेव । जहा पंचपएसओ एवं जाव असंखेज्जपएसओ ।
७ प्रश्न -सुहमपरिणए णं भंते ! अनंतपए सिए खंधे कहवण्णे ०? ७ उत्तर - जहा पंचपएसिए तहेव णिरवसेसं ।
८ प्रश्न - वायरपरिणए णं भंते ! अनंतपएसिए खंधे कवणे
- पुच्छा।
८ उत्तर - गोयमा ! सिय एगवण्णे जाव सिय पंचवणे, सिय एगगंधे सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अट्ठफासे पण्णत्ते ।
* सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति
॥ अट्ठारसमे सए छट्ठओ उद्देस समत्तो ॥
कठिन शब्दार्थ - सुमपरिणए - सूक्ष्म परिणत |
भावार्थ-५ प्रश्न - हे भगवन् ! परमाणु-पुद्गल कितने वर्ण वाला यावत् स्पर्श वाला होता है ?
५ उत्तर - हे गौतम ! एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श बाला होता है ।
६ प्रश्न - हे भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला, इत्यादि प्रश्न ?
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org