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भगवती सूत्र-श. १८ उ. ७ देवों के कर्मक्षय का काल
एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससएहिं खवयंति ?
२७ उत्तर-हंता अस्थि ।
२८ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण षा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससहस्सेहि खवयंति ? - २८ उत्तर-हंता अस्थि ।
२९ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति ?
२९ उत्तर-हंता अस्थि । कठिन शब्दार्थ-कम्मसे-कौश, खवयंति-क्षय करे।
भावार्थ-२७ प्रश्न-हे भगवन् ! इस प्रकार के देव भी हैं, जो अनन्त (शुभ प्रकृति रूप) कर्माशों को जघन्य एक सौ वर्ष, दो सौ, तीन सौ और उत्कृष्ट पांच सौ वर्षों में क्षय करते हैं ?
२७ उत्तर-हाँ, गौतम ! ऐसे देव हैं।
२८ प्रश्न-हे भगवन ! ऐसे देव भी हैं कि जो अनन्त कर्माशों को जघन्य एक हजार, दो हजार, तीन हजार और उत्कृष्ट पांच हजार वर्षों में क्षय करते हैं ?
२८ उत्तर-हां, गौतम ! ऐसे देव हैं।
२९ प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसे देव हैं, जो अन्त कर्माशों को जघन्य एक लाख, दो लाख, तीन लाख वर्षों में और उत्कृष्ट पांच लाख वर्षों में क्षय करते हैं ?
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