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________________ २७३२ भगवती सूत्र-श. १८ उ. ७ देवों के कर्मक्षय का काल एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससएहिं खवयंति ? २७ उत्तर-हंता अस्थि । २८ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण षा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससहस्सेहि खवयंति ? - २८ उत्तर-हंता अस्थि । २९ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति ? २९ उत्तर-हंता अस्थि । कठिन शब्दार्थ-कम्मसे-कौश, खवयंति-क्षय करे। भावार्थ-२७ प्रश्न-हे भगवन् ! इस प्रकार के देव भी हैं, जो अनन्त (शुभ प्रकृति रूप) कर्माशों को जघन्य एक सौ वर्ष, दो सौ, तीन सौ और उत्कृष्ट पांच सौ वर्षों में क्षय करते हैं ? २७ उत्तर-हाँ, गौतम ! ऐसे देव हैं। २८ प्रश्न-हे भगवन ! ऐसे देव भी हैं कि जो अनन्त कर्माशों को जघन्य एक हजार, दो हजार, तीन हजार और उत्कृष्ट पांच हजार वर्षों में क्षय करते हैं ? २८ उत्तर-हां, गौतम ! ऐसे देव हैं। २९ प्रश्न-हे भगवन् ! ऐसे देव हैं, जो अन्त कर्माशों को जघन्य एक लाख, दो लाख, तीन लाख वर्षों में और उत्कृष्ट पांच लाख वर्षों में क्षय करते हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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