Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे वान्ति ? गौतम ! यदा खलु वायुकायो यथा रीतं रीयते, तदा खलु ईषत्पुरो वाताः० यावत्-वान्ति, अस्ति खलु भदन्त ! ईषत्पुरोवाताः ? हन्त, अस्ति । कदा खलु भदन्त ! ईषत्पुरोवाताः ? गौतम ! यदा खलु वायुकायः उत्तरक्रिय पथ्यवात, मंदवात और महावात हैं क्या ? (हंता, अस्थि ) हां, गौतम! ये ईषत्पुरोवात आदि हैं (कया णं भंते ! ईसिंपुरे वाया० जाव वायंति) हे भदन्त ! ये ईषत्पुरोवात आदि कब चलते हैं ! ( गोयमा ! जयाणं वाउयाए अहारियं रीयइ, तया णं ईसिंपुरे वाया० जाव वायंति) हे गौतम! जब वायुकाय निज स्वभाव के अनुसार गति करता है तब ईष. स्पुरोवात आदि वायुएँ चलते हैं। (अस्थि णं भंते ! ईसिंपुरे वाया०) हे भदन्त ! ईषत्पुरोवात आदि वायुएँ है क्या ? (हंता, अस्थि ) हां गौतम! ईषत्पुरोवात आदि वायुएँ हैं । (कयाणं भंते ! ईसिंपुरेवाया०) हे भदन्त ! ये ईषत्पुरोवात आदि वायुएँ कब चलते हैं ? (गोयमा ! जयाणं वाउयाए उत्तर किरियं रियइ ) हे गौतम ! जबवायुकाय उत्तर क्रिया पूर्वक वैक्रिय शरीर बनाकर गति करता है (तयाणं ) तब (ईसिं पुरे वाय जाव वायंति) ईसत्पुरोवात आदि वायुएँ चलते हैं। (अत्थि णं ईसिं पुरे वाया० ) हे भदन्त । ईषत्पुरोवात आदि वायुएँ है क्या ? (हंना, अत्थि) हां, गौतम ! ईषत्पुरोवात आदि वायुएँ हैं । (कया णं भंते ! ईसिंपुरे वाया पत्थवाया०) हे भदन्त ! ईषत्पुरोवात, पथ्यवात आदि मार्नु मस्तित्व छ नडी ? (हन्ता अत्थि) 81, गौतम ! ते ध्वत्पुरावात माह वायुमार्नु मस्तित्व छ.( कयाणं भंते ! ईसिंपुरेवाया, जाव वायंति ) 3 महन्त ! ते षत्पुशपात माहि वायुमे। ध्यारे वाय छे ? (गोयमा ! जयाणं वाउयाए अहा. रिय रीयइ, तयाणं ईसिंपुरेवाया, जाव वायति ) गौतम ! न्यारे वायुय તેના સ્વભાવ અનુસાર ગતિ કરે છે, ત્યારે ઈષત્પરોવાત આદિ વાયુઓ વાય छ ? (अस्थिणं भंते ! ईसिंपुरेवाया.) महन्त ! शुषत्रावात माहवायुमे। छ १ (हंता, अत्थि ) &1, गौतम ! छे. ( कयाणं भंते ! ईसिंपुरेवाया, जाव वायंति ) महन्त ! पत्धुरोपात माल वायुसे। यारे पाय छ ? (गोयमा ! जयाण वाउयाए उत्तरकिरियं रियइ ) 3 गौतम ! न्यारे वायुय उत्तर या पूर्व वैठिय शरी२ मनावाने गति ४२ छ, ( तयाणं ईसिंपुरेवाया जाव वायंति ) त्यारे षत्पुरोपात माहि वायुस। पाय छे. ( अत्थिण ईसिंपुरेवाया,) महन्त! शुषपुरावात माहि वायु छ म२i ? (हंता अत्थि) है गौतम! षपरोपात माहि वायुमो छ. ( कयाण भंते ! ईसिंपुरेवाया पत्थावाया जाव वायंति) महन्त ! षरपुरावात, पथ्यवात मह वायुसे यारे वाय छ?
श्री.भगवती सूत्र:४