Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसरे हीवेणं भंते ! दीवे भारहे वासे इमी से ओसप्पिणीए समाए कइ कुलगरा होत्या ?' गौतमः पृच्छति-हे भदन्त ! जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे भारते वर्षे अस्याम् वर्तमानायाम् अवसर्पिण्यां दशकोटीकोटिसागरोपमप्रमाणहासोन्मुखकालसरूपिण्यां कति कियन्तः कुलकराः अभवन् ? भगवानाह-गोयमा ! सत्त' हे गौतम ! सप्त कुल कराः संजाताः, ते च विमलवाहनः, चक्षुष्मान् , यशोमान् , अभिचन्द्रः, प्रसेन जित , मरुदेवः, नाभिश्चेति सप्त । तेषां स्त्रियश्च सप्त । तासाम् चन्द्रयशाः, चन्द्र सूत्रकार इन सब विषय की वक्तव्यता को प्रतिपादन करने के लिये इस सूत्र का कथन कर रहे हैं-इसमें गौतम प्रभु से पूछते हैं कि (जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए समाए कह कुलगरा होत्था) हे भदन्त ! इस जंबूद्वीप के वर्तमान इस भरतक्षेत्र में इस चालू अवसर्पिणी काल में कितने कुलकर हुए हैं ? अवसर्पिणी काल का प्रमाण १० कोटाकोटी सागरोपम का कहा गया है। इस काल में जीवों की आयु, काय आदि का प्रमाण उत्तरोत्तर कम होता जाता है। कुलकर इस १० कोटाकोटि सागरोपम प्रमाणवाली तथा हासोन्मुख काल स्वरूपघाली अवसर्पिणी ( के तीसरे आरे) में ही हुए हैं-इसीलिये गौतम ने प्रभु से ऐसा प्रश्न किय है-इसके उत्तर में भगवान गौतम से कहते हैं कि-(गोयमा) हे गौतम! "सत्त" सात कुलकर हुए हैं। इनके नाम इस प्रकार से हैं-१ विमलवाहन, २ चक्षुष्मान, ३ यशोमान, ४ अभिचन्द्र, ५ प्रसेनजित् , ६ मरुदेव और ७ नाभि। इनकी सात પૂર્વમાં તે કુલકર, તીર્થકર આદિને પણ સમાવેશ થાય છે. તેથી સૂત્રકારે આ સૂત્રમાં એ સૌનું પ્રતિપાદન કર્યું છે.
गौतम स्वामी महावीर प्रभुने सो प्रश्न पूछे छे 8-( जंबुद्दीवेण भंते ! वे भारहेवासे इमीसे ओसपिणीए समाए कइ कुलगरा होत्था ?) सन् જંબદ્વીપમાં આવેલા આ ભરતક્ષેત્રમાં ચાલુ અવસર્પિણી કાળમાં કેટલા કુલકર થયા છે? અવસર્પિણીકાળનું પ્રમાણ દસ કોટાકોટિ-સાગરોપમનું કહ્યું છે. આ કાળમાં જીવોના આયુષ્ય, શરીર આદિનું પ્રમાણ ઉત્તરોત્તર ઘટતું જાય છે. આ દસ કોટાકોટી સાગરોપમ પ્રમાણવાળા, તથા હાસોન્મુખ કાલ સ્વરૂપવાળા, અવસર્પિણીમાં જ (અવસર્પિણીના ત્રીજા આરામાં) કુલકર થઈ ગયા છે. તેથી જ ગૌતમ ગણધરે આ પ્રકારનો પ્રશ્ન પૂછે છે. તેને ઉત્તર આપતા महावीर प्रा 3 छ-"गोयमा ! सत्त" गौतम! सात मुस४२ च्या छ. तमना नाम मा प्रमाणे छ-(१) विभाडन, (२) यमान, (3) यशोमान, (४) नियन्द्र, (५) प्रसेनजित, (९) भरुव मन, नालि सात शनी
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪