Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
भगवतीय पोच्यते ?, 'जाव-षणस्सई ' यावत्-वनस्पतिः प्रोच्यते, अर्थात् राजगृहं नगर यावत्-वनस्पतिरिति कथ्यते ? यावत् करणात्-तेजः, वायुः, वा पोच्यते ? इति संग्राह्यम् , 'जहा-एयणुद्देसए पंचिंदिय - तिरिक्ख जोणियाणं वत्तव्यया, तहा भाणियव्या' यथा-एजनोद्देशके - पञ्चमशतकस्य सप्तमोद्देशके पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां परिग्रहस्य वक्तव्यता प्रतिपादिता, तथा अत्रापि वक्तव्यता भणितव्या, सा च तत्रत्या वक्तव्यता-'टंका, कूडा, सेला, सिहरी, पब्भारा परिग्गहिया' इत्यादिरूपा बोध्या, तथा च किं राजगृहनगरं टङ्कोवा,शैलो वा शिखरी वा प्राग्भारादिरूपं वा मोच्यते ? इति प्रश्नाशयः । प्राग्भार इति किश्चिदवनतगिरिप्रदेशः' यहां का जो जल है उसका नाम राजगृह नगर है ? (जाव वणस्सई) यावत् यहां की वनस्पति का नाम राजगृह नगर है? यहां यावत् शब्द से (तेजः वायुः वा प्रोच्यते) इस पाठका संग्रह हुआ है। तात्पर्य यह है कि यहां जो तेज है, अथवा जो वायु है-उसका नाम राजगृह नगर है। (जहा एयणुदेसए पंचिदिय-तिरिक्ख जोणियाणं वत्तव्वया तहा भाणियन्या) जैसी एजनोद्देशक में-पञ्चमशतक के सप्तम उद्देशक मेंपंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकों के परिग्रह की वक्तव्यता प्रतिपादित की गई है उसी प्रकार से यहां पर भी वक्तव्यता कह लेनी चाहिये, वहां की वह वक्तव्यता (टंका, कुडा, सेला, सिहरी, पन्भारा परिग्गहिया) इत्यादि रूप से है, टंक-पर्वत, कूट-पर्वत के शिखर, शैल-मुंडपर्वत, शिखरीशिखरयुक्त पर्वत और प्रारभार-थोडे २ झुके हुवे पर्वत, तथा च राजगृह नगर किस रूप है ? क्या टङ्क रूप है ? या कूट रूप है ? या शैलरूप तनु नाम रागृह ना२ छ ? " जाव वणस्सइ " शुमही 2 वनस्पति छ तनुं नाम २०४ड नगर छ ? 8 'जाव' ( पर्यन्त ) ५४थी “ तेजः वायुः वा प्रोच्यते " ॥ सूत्रमा अडए। ४२वा. मेट सही २ त छ, अथवा रे वायु छ तेतुं नाम शु गुड नगर छ ? “जहा एयणुदेसए पचि दिय-तिरिक्खजोणियाण वत्तव्वया तहा भाणियव्वा " सनादेशमा (પાંચમાં શતકના સાતમાં ઉદ્દેશકમાં) જે રીતે પંચેન્દ્રિય તિય ના પરિગ્રહની વક્તવ્યતાનું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે. એ જ પ્રમાણે અહીં પણ સમસ્ત ४थन ७५ ४२ से. त्या अभ उपाभा माथु छ " टंका, कूडा, सेला, सिहरी, पभारा परिग्गहिया" ५'येन्द्रिय तिय या ४ (५ ), (शि५२), शेख (भुंड यत), शिम (शिमरयुक्त पत), प्रारमार ( થોડા થોડા મૂકેલા પર્વતે ) આદિ ગ્રહણ કરાયાં છે. અહીં રાજગૃહ નગરને વિષે આ પ્રકારના પ્રશ્નો ગ્રહણ કરવા જોઈએ. રાજગુહ નગર શું રંક (પર્વત)
श्री. भगवती सूत्र:४