Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीस्त्रे बन्धकत्वात् ज्ञानावरणीयस्य अबन्धको भाति, अत आह-स्याद् बध्नाति, स्यात् न बध्नाति-इति । 'एवं आउगवनाओ सत्त कम्मप्पगडीओ' एवं तथैव आयुष्कवर्नाः आयुष्कभिन्नाः आयुष्यं वयित्वा-इत्यर्थः सप्त कर्मपतयः ज्ञानावरणीयः माश्रित्य दर्शनावरगीयादयः सप्त वेदितव्याः, दर्शनावरणीयादीनि कर्माण्यपि आयुष्कवर्जानि स्त्री पुरुषादयः बध्नाति, नोस्त्री-नोपुरुष-नोनपुंसकस्तु कदाचित् बध्नाति, कदाचिन्न बध्नाति-इत्यर्थः । गौतमः पुनः पृच्छति-आउगं णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंबइ, नपुसओ बंधइ. पृच्छा ? ' हे भदन्त ! आयुष्कं कर्म कि स्त्री बध्नाति, पुरुषो वध्नाति, नपुंसको बध्नाति ? इति पृच्छा-गौतमस्य प्रश्नः, गुणस्थान से लेकर अयोगिकेवली नाम के चौदहवें गुणस्थान तक के जीव नो स्त्री, नो पुरुष, और नो नपुंसक होते हुए भी ज्ञानावरणीय कर्मके बंधक नहीं होते हैं, क्यों कि ये जीव एकविधकर्म (सातावेदनीय) के बंधक कहे गये हैं ! इसी कारण ऐसा कहा गया है कि जो (नो स्त्री नो पुरुष और नो नपुंसक) होता है वह इस ज्ञानावरणीय कर्म का बंध करता भी है और नहीं भी करता है । ( एवं आउगवजाओ सत्तकम्मप्पपडीओ) इसी प्रकार से यह भी जानना चाहिये कि जो जीव नो स्त्री, नो पुरुष और नो नपुंसक है वह जीव आयुकर्म को छोड़कर शेष दर्शनावरणीय आदि कमों को बांधता है। परन्तु जो स्त्री, पुरुष और नपुंसक वेदन वाले जीव हैं वे तो दर्शनावरणीय आदि सात कर्मों का बंध करते ही हैं। अब गौतम प्रभु से आयु के बंध के विषय में पूछते हैं कि-(आउगं णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधह, नपुंसओ ગુણસ્થાનથી લઈને અગી કેવલી નામના ચઢમાં ગુણસ્થાન સુધીના જીવન સ્ત્રી, ને પુરુષ અને ને નપુંસક હોવા છતાં પણ જ્ઞાનાવરણીય કર્મ બાંધતા નથી કારણ કે તે જીવને એક જ પ્રકારના કર્મન-સાતવેદનીય કર્મના બંધક કહ્યા છે તે કારણે એવું કહ્યું છે કે “ને સ્ત્રી, ને પુરુષ અને નપુંસક ज्ञानाव२०ीय मनी ५५ ज्या२३ ४२ छ भने या२४ ४२ता नथी. " ( एवं आउगजाओ सत्त कम्प्पयडीओ) से प्रमाण २७१ न सी, ना પુરુષ અને ને નપુંસક હોય છે તે આયુકમ સિવાયના બાકીનાં સાતે કને બંધ ક્યારેક બાંધે છે અને કયારેક બાંધતા નથી. પરંતુ જે સ્ત્રી, પુરુષ અને નપુંસક વેદવાળા જ છે તેઓ આયુકર્મ સિવાયના (દર્શનાવરણય આદિ) સાતે કર્મોને બંધ કરે જ છે.
ગૌતમ સ્વામી આયુના બંધ વિષે મહાવીર પ્રભુને પ્રશ્ન પૂછે છે— ( भाउगं णं भंते ! कम्मं कि इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, नपुंसओ बंधइ,
श्री. भगवती सूत्र:४