Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ६ ० ५ सू०१ तमस्कायस्वरूपनिरूपणम् १०७३ च्छेत्-समीपं गत्वा तमस्कायं प्रविशेत् , 'तो पच्छा सीहं सीहं तुरियं तुरियं खिप्पामेव वीइवएज्जा' ततः पश्चात् तदनन्तरम् भयान शीघ्रं शीघ्रम् अतिवेगेन त्वरितं स्वरितम् मनोगतेरतिवेगात् क्षिपमेव अतिसत्वरमेव व्यतिव्रजेत् अतिक्रामेत् , तमु. ल्लध्य निर्गच्छेत् । गौतमः पृच्छति-'तमुक्कायस्स णं भंते ! कइ नामधेज्जा पण्णत्ता ?' हे भदन्त ! तमस्कायस्य खलु कति कियन्ति नामधेयानि नामानि प्रज्ञप्तानि ? भगवानाह-'गोयमा ! तेरस नामधेज्जा पण्णत्ता' हे गौतम ! तमस्कायस्य त्रयो. दश नामधेयानि प्रज्ञप्तानि, तान्येवाह-'तं जहां-तद्यथा-' तमेइ वा१, तमुक्काए इ वा २, अंधकारे इ वा ३, महंधकारेइ वा४, लोगंधकारे इवा, ५ लोगतमिस्से इ वा ६, देवंधकारे इ वा ७, देवतमिस्से इ वा ८, देवारन्ने इ वा ९, देववूहे इ वा १०, देवफलिहे इ वा ११, देवपडिक्खोभे इ वा१२, अरुणोदए त्ति वा समुद्दे१३ इति । करता है तो वह " तओ पच्छा सीहं सीहं तुरियं तुरियं खिप्पामेव वीइवएज्जा" कायगति के अतिवेग से और मनोगति के अतिवेग से अर्थात् बहुत ही शीघ्रता के साथ उस तमस्काय में से बाहर निकल
आता है । (तमुक्कायस्स णं भते ! कइनामधेजा पण्णत्ता) हे भदन्त ! तमस्काय के कितने नाम हैं ? इस गौतम के प्रश्न का उत्तर प्रभु इन्हें यों देते हैं कि-(गोयमा) हे गौतम ! (तेरस नामधेज्जा पण्णत्ता) तमस्काय के नाम तेरह हैं-(तं जहा) वे इस प्रकार से हैं-(तमेइ वा १तमुक्काएइ वा, २अंधकारेइ वा, ३महंधकारेइ वा, ४लोगंधकारेइ वा ५, लोगतमिस्सेइ वा ६, देवंधकारेइ वा ७, देवतमिस्सेइ वा ८, देवारन्नेइ वा ९, देववूहेइ वा १०,देवफलिहेइ वा ११,देवपडिक्खोभेइ वा १२, अरुणोदएत्ति वा समुद्दे १३, अंधकाररूप होने के कारण तमस्काय का पहला नाम तम है, अंधकार की राशिरूप होने के कारण तमस्काय का दूसरा तुरिय तुरिय खिप्पामेव वीइवएज्जा ) यतिना अतिवेगथी भने भनातिना અતિવેગથી-એટલે કે ઘણી જ શીવ્રતાથી તે તમસ્કાયમાંથી બહાર નીકળી જાય છે.
गौतम स्वामीना प्रश्न-( तमुक्कायस्स ण मते ! कइ नामधेज्जा पण्णत्ता १) 3 महन्त ! तभयना eai नाम छ ? उत्तर-“ गोयमा ! " है गौतम ! (तेरस नामधेजा पण्ण ता-तंजहा" तभ२४ायना नीय प्रमाणे तेरे नाम ४i छ
(१) तमेइ वा, (२) तमुक्काएइ वा, (३) अधकारेइ वा, (४) महधकारेइ वा, (५) लोगधकारेइ वा, (६) लोगतमिस्सेइ वा, (७) देवधकारेइ वा, (८) देवतमिस्सेइ वा, (९) देवारन्नेइ वा, (१०) देववूहेइ वा, (११) देवफलिहेइ वा, (१२) देवपडिक्खोभेइ वा, (१३) अरुणोदए ति वा समुद्दे )
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪