Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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॥ दशमोद्देशकः प्रारभ्यते ॥
चन्द्रवक्तव्यता
अनन्तरैतदुद्देशकान्ते देवाः प्रतिपादिताः, अतो देवविशेषभूतौ चन्द्रमसौ समुद्दिश्य दशमोद्देशकमाह - ' तेणं काळेणं ' इत्यादि ।
मूलम् - तेणं कालेणं, तेणं समएणं चंपा नामं नयरी, जहा पढमिलो उद्देओ तहा नेयव्वो एसो वि, नवरं - चंदिमा भाणियव्वा ॥ सू० १ ॥
छाया - तस्मिन् काले तस्मिन् समये खलु चम्पा नाम नगरी आसीत्, यथा प्रथम - उद्देशकस्तथा ज्ञातव्य एषोऽपि, नवरं चन्द्रमसो भणितव्याः ॥ १ ॥ टीका- 'तेणं कालेणं, तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था' तस्मिन् काले, तस्मिन् समये खलु चम्पा नाम नगरी आसीत् - ' जहा पढमिल्लो उसओ तहा पंचम शतक १० वां उद्देशक
चन्द्र वक्तव्यता
( तेणं कालेणं तेणं समए) इत्यादि ।
सूत्रार्थ - ( तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी ) उस काल और उस समय में चंपा नाम की नगरी थी ( जहा पढमिल्लो उद्देसओ तहा नेयव्वो ऐसा वि नयरं-चंदिमा भाणियन्त्रा) जैसा प्रथम उद्देशक कहा है उसी प्रकार से यह उद्देशक भी समझना चाहिये, विशेष यह कि यहाँ चंन्द्रमा कहना चाहिये ।
टीकार्थ - अभी अभी इस उद्देशक के पास के उद्देशक के अन्त में देवों का कथन किया गया है सो देवविशेषभृत चन्द्रमाको लेकर ही सूत्रकार ने इस दशवें उद्देशक का कथन किया है (तेणं कालेणं तेणं समए) उस काल और उस समय में ( चंपा नामं नयरी होत्था ) चंपा
श्री भगवती सूत्र : ४
પાંચમા શતકના દસમા ઉદ્દેશક~~ ચન્દ્રની વક્તવ્યતા—
" तेणं कालेणं तेणं समरणं " त्याहि
सूत्रार्थ - ( तेणं काळेणं वेणं समपर्ण चंपा नामं नयरी ) ते जे भने ते समये यथा नामनी नगरी हुती. ( जहा पढमिल्लो उद्देसओ तहा नेयव्वो एसो वि नवरचदिमा भाणियव्बा ) ने प्रभाछे पो उदेश उडेवामां भाव्यो