Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे पारिग्रहकी, परिग्रहसम्बन्धिनी, मायापत्यया मायाप्रत्ययिकी क्रिया वा, अप्रत्या. ख्यानक्रिया अप्रत्याख्यानिकी क्रिया वा, मिथ्यादर्शनप्रत्ययामिथ्यादर्शनपत्ययिकी वा क्रिया क्रियते भवति किम् ? भगवानाह-'गोयमा ! आरंभिया किरिया किरिया कन्जह ) क्या आरंभिकी क्रिया लगती है ? (परिग्गहिया ) या पारिग्रहिकी क्रिया लगती है ? (मायावत्तिया ) या मायाप्रत्ययिकी क्रिया लगती है ? या (अप्पचक्खाणिया) अप्रत्याख्यानिकी क्रिया लगती है ? या (मिच्छा दंसणवत्तिया) मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया लगती है ? तात्पर्य कहने का यह है कि ये आरंभिकी क्रिया से लेकर मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया तक जो पांच प्रकार की क्रियाएँ है ये सब कर्मबंध की कारणभूत क्रियाएँ हैं। अतः जब किसी गृहस्थ के भाण्डों को जब कोई दूसरा मनुष्य चुरा लेता है तो वह व्यक्ति अपने गये हुए भाण्डों की तलाश करता ही है-अतः गौतम इसी विषय को लेकर प्रभु से पूछ रहे हैं कि हे भदन्त ! आप हमें यह समझा कि ऐसी स्थिति में उस गृहस्थ को कौनसी क्रिया का पात्र होना पडेगा ? आरंभजन्य क्रिया का नाम आरंभिकी क्रिया, परिग्रह जन्य क्रिया का नाम पारिग्रहिकी क्रिया, मायाजन्य क्रिया का नाम मायाप्रत्ययिकी क्रिया अप्रत्याख्यानजन्य क्रिया का नाम अप्रत्याख्यानिकी क्रिया, एवं मिथ्यादर्शनजन्य क्रिया का नाम मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया है। गौतम के ताणे छ ? “परिग्गहिया "शु पारिश्रडिटी या मागे छ ? “ मायावत्तिया" शुमायाप्रत्यय: Gया मागे छ? 'अप्पच्चक्खाणिया" शुमप्रत्याध्यानिकी छिया लागे छ ? 'मिच्छाईसणवत्तिया' में शुतेन भिथ्याशन प्रत्ययि ठिया सागे छ ?
याना पांय २ छ-(१) मान्य या मालिका लिया' छ. (२) परियड 4.4 जियाने पारिश्री या ४ छे, (3) भाया જન્ય ક્રિયાને “માયા પ્રત્યયિકી ક્રિયા કહે છે, (૪) અપ્રત્યાખ્યાન જન્ય ક્રિયાને
અપ્રત્યાખ્યાનિકી ક્રિયા ” કહે છે અને (૫) મિથ્યાદર્શન જન્ય ક્રિયાને “મિચ્યા દર્શન પ્રત્યયિકી ક્રિયા ” કહે છે. આ પાંચે ક્રિયાઓ કર્મબંધની કારણભૂત ક્રિયાઓ ગણાય છે.
જ્યારે કેઈ વ્યક્તિનાં વાસણ ચેરાય છે, ત્યારે તે વ્યક્તિ પિતાના ગુમાવેલાં વાસણની શોધ કરે છે. ગૌતમ સ્વામી મહાવીર પ્રભુ પાસે એ સ્પષ્ટીકરણ કરાવવા માગે છે કે ચેરાયેલાં વાસણોની તપાસ કરનાર તે વ્યક્તિને આરંભિકી આદિ પાંચે ક્રિયાઓમાંથી કઈ કઈ ક્રિયાઓ લાગે છે ?
ગૌતમ સ્વામીના આ પ્રશ્નને જવાબ આપતા મહાવીર પ્રભુ કહે છે
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪