Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श० ५ उ०७ सू० ८ हेतुस्वरूपनिरूपणम् ५७३ मानं साध्यव्याप्यमित्यर्थः साध्यनिश्चयाय जानाति-विशेषतः सम्यग् अवगच्छति सम्यग्दृष्टित्वात् , अयं पञ्चविधोऽपि हेतुः-हेतुषु वर्तमानः पुरुषः सम्यग्रहष्टिIतव्यः, मिथ्यादृष्टेरने वक्ष्यमाणत्वात् इत्येकः १, एवं हेतु पश्यति, सामान्यत परिणामी में अथवा गुण गुणी में किसी अपेक्षा अभेद माना जाता है। (हेत साध्याविनाभावी होता है ) ऐसा हेतु का ज्ञान ज्ञानी आत्मा से भिन्न नहीं क्यों कि ज्ञान आत्माका गुण है । अतः हेतु ज्ञान से अभिन्न होने के कारण ज्ञानी पुरुष स्वयं यहां हेतुरूप से प्रकट किया गया है। यह हेतु क्रिया के भेद से पांचप्रकार का होता है-जो इस प्रकार से है -जो व्यक्ति इस बात को जानता है-कि ऐसा हेतु जो अपने साध्य के साथ अविनाभूत होता है-साध्य के विना नहीं होता है-साध्य का व्याप्य होता है-वह अपने साध्य का निश्चय करनेवाला होता है, सम्यगूदृष्टि होने के कारण जो इस तरह विशेषरूप से अच्छी तरह से हेतु को जानता है- यही बात ( हेउं जाणइ ) इस वाक्य द्वारा प्रदर्शित की गई हैं । तात्पर्य कहने का यह है कि यह पांच प्रकार का जो हेतु है-अ. र्थात्-इन पांच प्रकार के हेतुओं में वर्तमान जो पुरुष है-वह सम्यग्दृष्टि होता है-ऐसा जानना चाहिये । क्यों कि आगे कहे जाने वाले प्रकरण से मिथ्यादृष्टि का वर्णन किया जावेगा, इस प्रकार से जो जानना है य. ही ( हेडं जाणइ ) इस पद का भावार्थ है। ( हेउं पासइ )जो हेतु को સંભવી શકતો જ નથી-એવું હેતુનું જ્ઞાન જ્ઞાની આત્માથી ભિન્ન હોતું નથી, કારણ કે જ્ઞાન આત્માનો ગુણ છે. આ રીતે હેતુ જ્ઞાનથી અભિન્ન હોવાને કારણે, જ્ઞાની પુરુષને પિતાને જ અહીં હેતુરૂપે પ્રકટ કરવામાં આવેલ છે. તે हेत लियाना मेथी पांय प्रा२ना डाय छ, २ प्रारेमा प्रमाणे छ-(हे' जाणइ) २ तुने पाताना सायनी साथै मदिनामा१३ नए छ. मेरो તે વ્યક્તિ એ વાતને જાણે છે કે હેતુ સાધ્યના વિના સંભવ નથી–હેત સાધ્યને વ્યાપ્ય હોય છે–તે પિતાના સાધ્યને નિશ્ચય કરાવનારે હોય છે. સમ્યગદષ્ટિ હોવાને કારણે જે આ રીતે હેતુને વિશેષરૂપે સારી રીતે જાણે છે. से वातने (हेउजाणइ) द्वारा प्रशित ४२वामां मावी छ. ४पार्नु तात्पर्य એ છે કે આ પાંચ પ્રકારના જે હેતુ છે–એટલે કે આ પાંચ પ્રકારના હેત આમાં વર્તમાન જે પુરુષ છે, તે સમ્યગૃદૃષ્ટિ હોય છે, એવું સમજવું ( મિથ્યાદૃષ્ટિનું વર્ણને હવે પછી કરવામાં આવશે, અત્યારે તે સમ્યગૃષ્ટિનું જ पणुन यादी २ छ, सम सभा: (हेउं पासइ) २ तुने तना
श्री. भगवती सूत्र:४