Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टी० श०५३०६ सू०२ गृहपतिभाण्डनिकायस्वरूपनिरूपणम् ३.९ वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइ, जाव-मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? ' गाथापतेर्वा तस्माद् भाण्डात् किम् आरम्भिकी क्रिया क्रियते भवति ? यावत्-मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया क्रियते भवति ? भगवानाह-'गोयमा ! कइयस्स ताओ भंडाओ हेडिल्लाओ चत्तारि किरियाओ कन्जंति, मिच्छादसण वत्तिया किरिया भयणाए' हे गौतम ! क्रयिकस्य ग्राहकस्य तस्मादुपनीतात् भाण्डाद् अधस्तन्यः उपर्युक्ताः आधाश्चतस्रः क्रियाः क्रियन्ते भवन्ति, मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया तु भजनया विकल्पेन कदाचित् स्यात् , कदाचित् , नापि स्यात्मिथ्यादर्शनावस्थायां स्यात् , सम्यग्दर्शनावस्थायां न स्यादिति भावः, किन्तुक्रिया यावत् मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया लगेगी ? या ( गाहावइस्स वा ताओ भंडाओ किं आरंभिया किरिया कज्जइ, जाव मिच्छादंसण वत्तिया किरिया कज्जह ) गाथापति को उन भाण्डों को निमित्त को लेकर आरंभिकी क्रिया से लेकर मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया तक सब क्रियाएँ लगेंगी? इसके समाधान निमित्त प्रभु गौतम से कहते हैं कि-(गोयमा) हे गौतम ! (कायस्स ताओ भंडाओ ) जो उन भाण्डों का खरीददार है उसके लिये उन भाण्डों के निमित्त से (हेडिल्लाओचत्तारि किरियाओ कज्जंति) तो ये नीचे की चार क्रियाएँ लगेंगी ही परंतु (मिच्छादसणवत्तियाकिरिया) जो मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया है वह वहां पर भजनीय रहेगी। कारण कि यदि वह खरीददार व्यक्ति मिथ्यादर्शन की अवस्थावाला है तब तो उसे यह क्रिया लगेगी ही और यदि वह सम्यग्दर्शनकी अवस्थावाला है,तो उसे यह क्रिया नहीं लगेगी। १४ भिथ्याशन प्रत्यायी ५-तनी जियामा सागे छ ? मथq! " गाहावस्त वा ताओ भंडाओ किं आर भिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजह ? "तपासणी वेयना२ व्यापारीन पासपोने निमित्त सारભિકીથી લઈનેમિથ્યાદર્શન પ્રત્યયિકી પર્યન્તની ક્રિયાઓ લાગશે કે નહિ લાગે ?
- ગૌતમ સ્વામીના આ પ્રશ્નોનું સમાધાન કરતા મહાવીર પ્રભુ કહે છે – “गोयमा!" गौतम! " कइयस्स ताओ भंडाओ हेद्विल्लाओ चत्तारि किरियाओ कज्जति " ते वासयी मशीन व ना२ व्यतिन ते वासयोन निभात આરંભિકી, પારિગ્રહિકી, માયામયિકી અને અપ્રત્યાખ્યાનિકી, ક્રિયાઓ सागरी ४, ५२न्तु " मिच्छादसणवत्तिया किरिया०" तेने मिथ्याशन प्रत्यायिकी કિયા લાગી શકે પણ ખરી અને ન પણ લાગી શકે. કારણ કે જે તે ખરીદનાર વ્યક્તિ મિથ્યાદષ્ટિ હશે, તે તેને મિથ્યાદર્શન પ્રત્યયિકી કિયા લાગશે જ; પણ જે તે સમ્યગ્દષ્ટિ હશે તે તેને મિથ્યાદર્શન પ્રત્યવિકી ક્રિયા નહીં લાગે.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪