Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अथ षष्ठोदेशकः प्रारभ्यतेअथ पञ्चमशतके पष्ठोद्देशकस्य संक्षिप्त विषयविवरणम् । जीवानामल्पायुष्यतां प्रतिहिंसा-मृषावाद-सचित्तवस्तुदानादीनां हेतुत्वातिपादनम् , श्रमणब्राह्मणेभ्योऽप्रामुकदानरूपानुचितदानमेवात्र सचित्तवस्तुदानपदेन प्रतिपादितम् , ततो जीवानां दीर्घायुष्कतां प्रति अहिंसा-सत्या-चित्तवस्तुदानरूपोचितपदार्थदानानां हेतुत्वकथनम् , ततः अशुभदीर्घायुष्कतायाः, शुभदीर्घायुष्कतायाच हेतु निरूपणम् , मृद्भाण्डादेविक्रेतुः गृहपतेः, तद्भाण्डक्रयिकस्य च कर्मबन्धहेतुभूतक्रियाणां चतुर्विकल्पप्रतिपादनम् , ततोऽग्निकायानां महाक्रियादि
पंचम शतक का छट्ठा उद्देशकपंचम शतक के इस छठे उद्देशे में जो विषय कहा गया है उस का विवरण संक्षेप से इस प्रकार से है-जीवों की अल्पायुष्यता के प्रति हिंसा, मृषावाद तथा सचित्त वस्तु के दान देने आदि में हेतुता का प्रतिपादन, सचित्त वस्तु के दान पद से, श्रमण, एवं ब्राह्मणों के लिये अप्रासुक वस्तु को अनुचित दान देना ही यहां ग्रहण किया गया है ऐसा कथन, जीवों को दीर्घायुष्यता की प्राप्ति होने के प्रति अहिंसा सत्य और श्रमण ब्राह्मणों के लिये दान देने रूप उचित अचित्त वस्तु का दान देना है ऐसा कथन, शुभ दीर्घायुध्यता और अशुभ दीर्धायु: ध्यता का हेतु क्या है-ऐसा प्रतिपादन, मिट्टी के वर्तन आदि बेचने
છઠ્ઠા ઉદ્દેશાન પ્રરંભ
છઠ્ઠા ઉદ્દેશને સંક્ષિપ્ત સારાંશ નીચે પ્રમાણે છે.
હિંસા, મૃષાવાદ, સચિત્ત વસ્તુનું દાન, આદિના કારણે જીવનું આયુષ્ય ट्रे मन छे से प्रतिपान यु छ. तथा “सयित्त वस्तुनु हान" सरसे કે શ્રમણ અને બ્રાહ્મણોને અપ્રાસુક (દોષયુક્ત) વસ્તુનું દાન દેવું, એ અર્થ અહીં ગ્રહણ કરાય છે એવું કથન કર્યું છે.
જીવોને દીર્ધાયુષ્યતાના કારણ તરીકે અહિંસા, સત્ય અને શ્રમણ અને બ્રાહ્મણને ઉચિત અચિન્ત વસ્તુનું દાન ગણવામાં આવેલું છે, એવું પ્રતિપાદન. શુભ દીઘયુષ્યતા અને અશુભ દીર્ધાયુષ્યતાના હેતુ કયા છે, તેનું પ્રતિપ્રાદન. માટીનાં
श्री. भगवती सूत्र:४