Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका २० ८. उ० ४ सू०१ छमस्थशब्दश्रवणनिरूपणम् १९३ बा, शूकरचविनद्धमुखो वाद्यविशेषः परिपरिता, तस्याः शब्दान् , ' पणवसद्दाणि वा ' पणवशब्दान् वा, पणवः ढोलइतिपसिदः वाधविशेषः, तस्य शब्दान् पा, 'पडहसदाणि वा ' पटहशब्दान् वा, पणवभिन्नो वधविशेषः पटहः, तस्यशब्दान् वा भंभासदाणि वा' भंभाशब्दान वा, ढकापदवाच्यो वायविशेषो भंभा तस्याः शब्दान् वा, 'होरंभसदाणि वा' होरम्भशब्दान् वा, रूढ्या लोके प्रसिद्धो वाद्यविशेष: होरम्भः, तस्य शब्दान वा, 'भेरीसद्दाणि वा' भेरीशब्दान् वा, भेरीमहाढका, तस्याः शब्दान् वा, ' झल्लरीसदाणि वा ' झल्लरीशब्दान् वा, वलयाकारो वाधविशेषः झालरइति भाषायां प्रसिद्धः झल्लरी, तस्याः शब्दान् वा, पोता शब्द है। 'परिपरिता' इस नाम के वाचविशेष के जो शब्द है अर्थात् जो इससे वजाने पर ध्वनि निकलती है वे परिपरिताशब्द हैं। यह पाजा सुअर के चमडे से मढा जाता है जो 'पणवसहाणि वा' पणव नाम ढोल का है। इस ढोलको बजते समय जो शब्द निकलते हैं वे पणव शब्द कहलाते हैं। 'पटहसहाणि वा' यह बाजा पणव से भिन्न प्रकार का होता है इसके बजने पर जो ध्वनि निकलती है वे पटह शब्द हैं। 'भभासदाणि वा' भंभानाम ढका नामक बाजे का है। इसके बजने पर जो आवाज निकलती है वे भंभाशब्द हैं। 'होरंभसहाणि वा ' यह भी एक प्रकार का याजा होता है-इसके बजने पर जो ध्वनि निकलती है वे होरंभ शब्द हैं। 'भेरीसदाणि वा' भेरी नाम महाढक्का का है इस के बजने पर जो आवाज निकलती है वे भेरीशब्द हैं। 'झल्लरी सहाणि वा' वलय के आकार जैसा जो बाजा होता है पाना Aaira . ५२मुभीना" डेछ. (पोयासहाणि वा) भाटी भ२. भुभान “योता" ४ छे. ते पोताना सवारने " पोतना डे छ. (परिपरितासहोणि ) प२ि५रिता ना भनु य छ तेना पनी परित्ताना डे छ त पाने सुवरना यामाथी भन्यु डाय छे. ( पणवसहाणि वा) aa वसावाथी २ सानी छे. ते२ “ पनाह" ४ . (पहासहाणि वा) ५५ पाथी २ मा नीले छेतेन " पनाह" ४ छ.(भंभासदाणि वा) न॥२ पाने माना ” ४६ छ. ( होरभसहाणि वा) હરંભ નામનું વાજિંત્ર હોય છે. તેને વગાડવાથી ધ્વનિ નીકળે છે તેને "मेरीना" छ. (भेरीसहाणि वा ) मेरी नाभन पाना अपानने
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૪