Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
२०६
भगवतीसरे उत्सुको भवेत् उत्सुकायेत किमपि अभीप्सितं वस्तु आदातुमौत्सुक्यं कुर्यात् ? भगवान् तत्स्वीकुर्वन्नाह- हन्ता, गोयमा ! हसेज्न वा, उस्मुयाएज्ज वा' हे गौतम ! हन्त. त्वदुक्तं सत्यं-छद्मस्थो मनुष्यः अवश्यं हसेद् वा, उत्सुकायेत वा, विषयादानं प्रति उत्कण्ठां कुर्यादेवेत्यर्थः । पुनगौतमः पृच्छति-'जहा णं भंते ! ' इति । यथा खलु भदन्त ! 'छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज, उस्सुयाएज' छद्मस्थो मनुष्यः हसेत् , उत्सुकायेत, तहाणं केवली वि हसेज वा, उस्मुयाएज्ज वा ? ' तथा खलु किम् केवली केवलज्ञानी अपि हसेद् वा, उत्सुकायेत वा ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! 'णो इणढे समटे' नायमर्थः समर्थः, नैवं भवितुमहति ? गौतमस्तत्र कारणं पृच्छति-' से केणडेणं भंते !' इत्यादि । हे भदन्त ! तत् केनार्थेन 'जाव नो णं तहा केवली हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज भी वस्तु को ग्रहण करने की उत्कंठा होना इसका नाम उत्सुकता है। इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं कि- 'हंता, गोयमा!' हां, गौतम ! ( हसेज्ज वा उस्सुयाएज्ज वा) छद्मस्थ मनुष्य हँसता है और उत्सुकतावाला होता है। अर्थात् विषयों को ग्रहण करने के लिये उसके मनमें औरतुक्यभाव होता है । गौतम प्रभु से पुनः पूछते हैं कि ( जहा गं भंते ! छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज उस्सुयाएज्ज ) हे भदन्त जिस प्रकार से छद्मस्थ मनुष्य हँसता है और उत्सुकता वाला होता है ( तहा णं केवली विहसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ) उसी तरह से क्या केवलज्ञानी भग बान भी हँसते हैं या उत्कंठावाले होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा' हे गौतम ! ( णो इणद्वे समढे ) यह अर्थ समर्थ नहीं हैअर्थात् ऐसा नहीं होता है । गौतम इस विषय में कारण पूछते हैं कि કોઈપણ ઇચ્છિત વસ્તુની પ્રાપ્તિને માટે ઝંખવું તેનું નામ ઉત્સુકતા અથવા Get छे. महावीर प्रभु तेन ॥ प्रमाणे ४१५ मापे छ ( हंता गोयमा !) स, जीतम! ( हसेज्ज वा उस्सुयाएज्ज वा) ७५२० मनुष्य से ५५ અને ઉત્સુકતાવાળે પણ હોય છે. કહેવાનું તાત્પર્ય એ છે કે ઈચ્છિત વસ્તુ પ્રાપ્ત કરવાને માટે તે આતુર હોય છે.
प्रश-(जहाणं भंते ! छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज, उस्सुयाएज्ज) महन्त ! २वी ते ७५२५ मनुष्य से छे भने ति डाय छे. ( तहाणं केवली वि हस्सेज्ज वा, उत्सुयाएज्ज वा ) मेरा प्रमाणे शु शानी भगवान से छे अथवा सुस्ताय छ ? उत्तर-(गोयमा ! णो इट्टे समटे) ગતમ! એવું બનતું નથી.
श्री.भगवती सूत्र:४