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पद्मपुराणे
निकाचितं कर्म नरेण येन यत्तस्य भुंक्त सफलं नियोगात् । कस्यान्यथा शास्त्ररवौ सुदीप्ते तमो भवेन्मानुषकौशिकस्य ॥१७॥
इत्याचे रविषेणाचार्यप्रोक्त पद्मपुराणे युद्धनिश्चयकीनाभिधानं नाम द्वासप्ततितमं पर्व ॥७२॥
हमारे जैसे पुरुष इसी वंशमें जन्म ग्रहण करेंगे ॥६६॥ जिस मनुष्यने निकाचित कर्म बाँधा है वह उसका फल नियमसे भोगता है । अन्यथा शास्त्र रूपी सूर्यके देदीप्यमान रहते हुए किस मनुष्य रूपी उलूकके अन्धकार रह सकता है ।।६७।।
इस प्रकार आर्ष नामसे प्रसिद्ध, रविषेणाचार्य द्वारा कथित पद्मपुराणमें रावणके युद्ध सम्बन्धी
निश्चयका कथन करने वाला बहत्तरवाँ पर्व समाप्त हुभा ॥७२॥
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