Book Title: Padmapuran Part 3
Author(s): Dravishenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 492
________________ बालप्रवलमाहित पारिने प्रतिशचप्रतीहारा सुवेदानीगिरामम योनिस्पति यंकर्मयथोचित हीबाहुनमिंडोधिः सर्बलकारनूखित लोस्त्रयानताना यथातातप्रतीपर त्रीय ब्रजेन्मुक्ता सवतीनद्यायथा करिष्यानि रथि वाक्रवाणदातव्याम रायोर्मत॥२२ ममेवगुरमेहाल दाजमार्थक रुन आएवमेत भारतीय ज्ञानपीठ 18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली-110 003 संस्थापक : स्व. साहू शान्तिप्रसाद जैन, स्व. श्रीमती रमा जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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